शहर में प्रस्तावित एलिवेटेड रोड 9.6 किमी लंबी होगी। लागत करीब 980 करोड़ रुपए आएगी। यह देश की दूसरी सबसे लंबी एलिवेटेड रोड होगी, जो सिंगल पिलर पर बनेगी। अगर काम तय समय पर होता है तो शिलान्यास के चार-साढ़े चार साल में पूरी बन जाएगी। सिंगल पिलर की संख्या 220 रहेगी, हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि पिलर की संख्या ग्राउंड की लोड बियरिंग कैपेसिटी (एसबीसी) के अनुसार कम-ज्यादा भी हो सकती है।
ऐसा रेडियस को बैलेंस करने के लिए किया जाता है। शहर के लाेगाें की सुविधा काे ध्यान में रखते हुए जुलाई 2019 के बजट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस एलिवेटेड रोड की डीपीआर बनाने की घोषणा की। इसके बाद जेडीए ने बड़ौदरा की फर्म जियो डिजाइन एंड रिसर्च कंपनी को फिजिबिलिटी रिपोर्ट बनाने का काम सौंपा था। जेडीए ने रिपोर्ट एप्रूव्ड करने के बाद डीपीआर राज्य सरकार के पास भेज दी है। अब सरकार तय करेगी कि एलिवेटेड रोड जेडीए बनाएगा या फिर अन्य एजेंसी।डीपीआर सरकार तक पहुंच गई है, लेकिन पहली चुनौती इतनी बड़ी राशि खर्च करना है। जेडीए की हालत किसी से छिपी नहीं है, ऐसे में सरकार बजट देगी तब ही इस पर काम संभव हो सकेगा। कायलाना से डिगाड़ी तक पानी की ग्रेविटी लाइन डली हुई है। इसको अन्यत्र शिफ्ट करना आसान नहीं होगा, क्योंकि आधे रास्ते के नीचे से होकर यह लाइफ लाइन गुजर रही है।
एलिवेटेड की राह में दो चुनौतियां
हार्टलाइन का ट्रैफिक सुगम करने की कवायद पिछले सात साल से चल रही है। वर्ष 2012-13 में अशोक गहलोत के दूसरी बार सीएम रहते तत्कालीन महापौर रामेश्वर दाधीच ने इस प्लान पर काम शुरू किया था। तब यह प्लान पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) पर प्रस्तावित था, लेकिन फिजिबिलिटी रिपोर्ट अाने तक प्रदेश में सरकार बदल गई आैर काम रुक गया। हालांकि चुनौतियां अभी भी कम नहीं हैं।
एलिवेटेड रोड एक नजर में
मंडोर रोड को कृषि मंडी से जोड़ते शुरू होगी एलिवेटेड रोड
भदवासिया ओवरब्रिज के ऊपर से गुजरेगी
पावटा सर्किल से राइकाबाग बस स्टैंड की तरफ उतरेगी टू-लेन
कलेक्ट्रेट के मुख्य गेट के पास से एलिवेटेड रोड को जोड़ेगी
पुरी तिराहे से रेलवे स्टेशन की तरफ उतरेगी टू-लेन
पांचवीं रोड से 12वीं रोड की तरफ उतरेगी टू-लेन
आखलिया तिराहे से प्रतापनगर रोड के समानांतर उतरेगी एलिवेटेड
आखलिया से सोजती गेट, पावटा होकर महामंदिर, भदवासिया होकर कृषि मंडी मंडोर की तरफ उतरेगी एलिवेटेड रोड